Achyutam keshvam
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लड़ रहे जो लोग जीवन के लिए वे और होंगे,
कर दीया जीवन समर्पित ही लड़ाई के लिए है .
पंथ से पग हैं अपरिचित,
किन्तु पथ परिचित पगों से.
नींद टूटेगी तुम्हारी,
विश्व मेरे रतजगों से.
राह की प्रत्येक ठोकर,
कान में यह कह चली रे,
रक्त से रतनार पग ही इस चढाई के लिए हैं.(१)
है पुरानी याद अब तो,
बढ़ चुकी है बात आगे.
नील नभ को देख मन में,
जब गरुड़ संकल्प जागे.
आँधियों ने शक्ति तौली,
और बोलीं रे परीक्षित.
बल नहीं संकल्प आवश्यक उड़ाई के लिए है.(२)
लेखनी की क्रोशिया ले,
धूप के रूमाल बुनता.
और शीतल ज्योतियों के,
जुगनुओं से हाल सुनता.
चाहता यश,धन,प्रतिष्ठा,
खोजता पथ दूसरा ही,
जिन्दगी का व्याकरण आखर अढ़ाई के लिए है.(३)
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