Menu
blogid : 14295 postid : 1170461

दीप बन जलते रहो तुम

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
  • 105 Posts
  • 250 Comments

दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .

दूर है दिनमान जबतक ,
शेष काली रात .
वंचकों की जात बैठी है ,
लगाये घात .
ओ! प्रकाशित गात रहना ,
बन तिमिर का यम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .

रौशनी है कर्म तेरा ,
रोशनी है धर्म .
तैल हो निश्शेष तो क्या,
शेष वर्तिक चर्म.
श्वास हो अंतिम,न हो
उत्साह फिर भी कम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .

दीप तू निष्कम्प जल ,
निर्भीक जल मत हार .
रख अटल विश्वास ,
लेंगे विष्णु फिर अवतार .
ये परिस्थितियाँ विषम ,
होने लगेंगी सम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .

रण विजय हो या करें ,
मृत्यु वरण .
पर तिमिर की गह ,
नहीं सकते शरण .
बुझ गये तो फिर उगेंगे.
पूर्व से.
जग कहेगा ,सूर्य
तव अभिनन्दनम .
दीप बन जलते रहो तुम.
अरे!ज्योतिर्मय हरो तम .
406006_317219905049674_250038072_n

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply