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हम तो यायावर स्फुल्लिंग,जो छू देंगे आग बनेगा

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
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सच की खातिर ,विष पी-पीकर ,
जब कोई सुकरात मरेगा ,
एक नहीं सौ-सौ भावुक मन ,
तब उसकी भाषा बोलेंगे .

साकी सुरा मुबारक तुमको ,
मैं पीता हूँ आग कटोरा .
मलय बतास किसे कहते हैं ,
यहाँ प्राण में प्रलय झकोरा .
चक्र-व्यूह में लड़ते -लड़ते ,
जब कोई अभिमन्यु गिरेगा ,
पार्थ और अच्युत के मन में,
ज्वालामुखी सहस खौलेंगे.
सच की खातिर ,विष पी-पीकर ,
जब कोई सुकरात मरेगा ,
एक नहीं सौ-सौ भावुक मन ,
तब उसकी भाषा बोलेंगे .

जब काँटों का ताज पहनकर ,
सूली पर ईसा लटकेगा .
मेहनतकश के सपनों को जब ,
आरक्षण दानव गटकेगा .
बेटे का शव दहन-शुल्क जब,
पत्नी से मांगेगे राजा ,
तब-तब ये आकाश फंटेगा ,
देवों के आसन डोलेंगे .
सच की खातिर ,विष पी-पीकर ,
जब कोई सुकरात मरेगा ,
एक नहीं सौ-सौ भावुक मन ,
तब उसकी भाषा बोलेंगे .

जली फूस की तरह जवानी ,
तब गद्दी पर चढ़ा बुढापा .
आज माँगती है हक अपना ,
तो तुम को देते हो आपा .
शोषित,पीड़ित,दमित जवानी ,
जब धरती पर आह भरेगी ,
तब-तब फिर भूचाल उठेगा ,
नेत्र तीसरा शिव खोलेंगे .
सच की खातिर ,विष पी-पीकर ,
जब कोई सुकरात मरेगा ,
एक नहीं सौ-सौ भावुक मन ,
तब उसकी भाषा बोलेंगे .

हम तो यायावर स्फुल्लिंग ,
जो छू देंगे आग बनेगा .
ओठों से गा दें मल्हार को ,
क्षण में दीपक राग बनेगा .
मुख में शाप हाथ में शर ले ,
जब मनु की सन्तान उठेगी ,
क्रान्ति विहग फैलाकर अपने,
अग्नि-पंख नभ को तौलेंगे .
सच की खातिर ,विष पी-पीकर ,
जब कोई सुकरात मरेगा ,
एक नहीं सौ-सौ भावुक मन ,
तब उसकी भाषा बोलेंगे .

राम भक्त की बात न मानी ,
तो ये लंका जल जायेगी .
राक्षस राजा के कर्मों का ,
सारी नगरी फल पायेगी .
राम नाम का सम्बल पाकर ,
अंगद ने पग गाड़ दिया है.
या तो दैत्य पाप धोलेंगे ,
या चिरनिद्रा में सो लेंगे .
सच की खातिर ,विष पी-पीकर ,
जब कोई सुकरात मरेगा ,
एक नहीं सौ-सौ भावुक मन ,
तब उसकी भाषा बोलेंगे .

हम तो यायावर स्फुल्लिंग
हम तो यायावर स्फुल्लिंग

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