Achyutam keshvam
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सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .
–
हम शहरी सोये थे .
सपनों में खोये थे.
कपटी ने जानबूझ
बेढब सा समय चुना .
सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .
–
हरी-श्रंगार झड़ते थे.
इन्दीवर बढ़ते थे .
हम जागे टी.वी.पर
मौसम का हाल सुना .
सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .
–
हम ठहरे विज्ञानी .
नवयुग के नवज्ञानी ,
खाते हैं बस भेजा
फ्राई हो किंवा भुना .
सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .
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