Menu
blogid : 14295 postid : 1143571

सूरज की मकडी ने किरणों का जाल बुना

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
  • 105 Posts
  • 250 Comments

सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .

हम शहरी सोये थे .
सपनों में खोये थे.
कपटी ने जानबूझ
बेढब सा समय चुना .
सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .

हरी-श्रंगार झड़ते थे.
इन्दीवर बढ़ते थे .
हम जागे टी.वी.पर
मौसम का हाल सुना .
सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .

हम ठहरे विज्ञानी .
नवयुग के नवज्ञानी ,
खाते हैं बस भेजा
फ्राई हो किंवा भुना .
सूरज की मकडी ने
किरणों का जाल बुना .

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply