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धूप का टुकड़ा उजला रूप

Achyutam keshvam
Achyutam keshvam
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मिला मोबायल पर संदेश
लिखा था तुमने अपनापन
तुम्हारी बातों की खुशबू
भिगो सी गयी समूचा मन

तुम्हारी बातें शहद-शहद
हँसो तो खिलने लगें प्रसून
साथ तेरा है पुरवाई
जून की लपट लगे सावन

फेर मुहँ पहले जाना दूर
ठिठकना फिर पीछे मुड़ना
देखना पलक उठा चुपचाप
लगे रुक गया यहीं जीवन

वेणुधर्मी वे वाणी-शब्द
शब्द से अधिक मुखर है मौन
अकम्पित पाटल वर्णी अधर
किन्तु बतियाते नयनानन

धूप का टुकड़ा उजला रूप
साँस में चन्दन वन महके
रसीले बादल जैसा हृदय
सिन्धु सा हहराता यौवन

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