Achyutam keshvam
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सोचकर ही इस शहर में घर बनाना जी
क्या पता होने लगे कब आग की बरसात
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हो सके तो रे पखेरू दूर उड़ जाना
नीड़ मत धरना यहाँ पर गीत मत गाना
सोचकर इस बाग में रमना-रमाना जी
टोह में कुछ बाज बैठे हैं लगाये घात
सोचकर ……………………………(1)
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तितलियों रंगीन ख्वाबों में नहीं खोना
यह सुगन्धी है क्षणिक मदहोश मत होना
सोचकर ही दिल गुलाबों से लगाना जी
कंठ से नीचे सभी का है कँटीला गात
सोचकर ……………………………(2)
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हर कदम नृशंस मकड़ों के पुरे हैं जाल
जाल में जो भी फँसे इनकी चपाती दाल
सोचकर ही अब यहाँ खाना कमाना जी
नीलवर्णी है यहाँ के गीदड़ों की जात
सोचकर ……………………………(3)
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आज गँदली हो गयी सुख मूल पावन धार
घाट पर बगुला भगत करने लगे व्यापार
सोचकर ही अब यहाँ गंगा नहाना जी
मोक्ष के बदले मले न रोग की सौगात
सोचकर ……………………………(4)
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